घूम रहे हैं

1 Part

265 times read

12 Liked

मुक्तक कहने को निगहबान बने घूम रहे हैं। चालाक बेईमान बने घूम रहे हैं।। करना यकीन सोच समझकर ऐ बेटियों। हैवान भी इंसान बने घूम रहे हैं।। रचनाकार ✍️ भरत सिंह ...

×