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ताज्जुब है,, तुम्हारे किरदार पर।। मुझसे तुम्हारे ,, सरोकार पर।। हैरत तो तब होती है,, जब नफ़रत,,मेरे बोलते ही ,, जाने तुममे कहा से प्रकट होती है।। जो इतना ही बुरा ...