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कहीं हर्ष उल्लास कहीं पर शोक। इस संसार में भाँति भाँति के लोग।। अपने मन में विष भर कर बैठें हैं। ये कैसा लगा है इनको, मनो रोग।। कोई निपुर्ण है ...