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मुक्त विषय कविता विधा-मत्त सवैया (राधेश्यामी छंद) ******************************** जग की हालत देख रहें हैं, जो हैं सब के भाग्य विधाता। हो व्याकुल शिव गौरा सोचें, मानव क्यों दानव बन जाता।। यह ...