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कांच का एक टुकड़ा हूं मैं टूट कर कहीं बिखरा हूं मैं लफ्जों पर नहीं ठहरा हूं मैं दिल में कहीं दफन गहरा हूं मैं खामोशी से गुजरा हूं मैं सन्नाटों ...