कांच का एक टुकड़ा हूं मैं

1 Part

297 times read

23 Liked

कांच का एक टुकड़ा हूं मैं टूट कर कहीं बिखरा हूं मैं लफ्जों पर नहीं ठहरा हूं मैं दिल में कहीं दफन गहरा हूं मैं खामोशी से गुजरा हूं मैं सन्नाटों ...

×