1 Part
331 times read
16 Liked
प्रतियोगिता हेतु गज़ल दिल से होकर कहीं, लाचार कलम लिखती है। भर के लफ्जों में ये, अंगार कलम लिखती है।। इतना खाकी का लहू बह रहा है सरहद पर। उसकी खादी ...