क़िताब

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तृष्णा ही बुझाई  है सबकी, ये  वो  बेशक़ीमती आब है। रौशिनी  हर-सू  फैलाई   है, ये  इल्म -ए- आफ़ताब   है। तुम्हारे  तमाम  सवालों  के, इसके  पास  ही  जबाब  है। जीवन  में  खुश्बू  ...

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