धीरे-धीरे पड़ी मैंने जिंदगी की किताब

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पढ़ी मैंने जिंदगी की किताब धीरे-धीरे पढी मैंने जिंदगी की किताब हर रोज का एहसास अलग उसका तो जनाब सोचा नहीं जाना नहीं आज तक उसका हिसाब हर मिनट पर देखा ...

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