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बादलों की शरारत तुम हो किस मिट्टी के भैया ? कभी दिखाते हो पाँच मिनट की झलक, जिसके पश्चात देखना पड़ता है इस ज़ालिम गर्मी का नाच जिसकी आँच को देख ...