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थम जा ना ए मुसाफ़िर! अरसा हुआ कश्ती को तूफ़ानों से लड़ते हुए। चल कहीं गहराइयों में हो जाएँ गुम, अरसा हुआ इस जहां को पहचानते हुए।। ढल जाए बस अब ...