लेखनी प्रतियोगिता -28-Jul-2022 - पतझड़

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मुक्तक लहरी (मात्रा भार १५) तीज उत्सव की मची धूम,  बाहारों में तू भी घूम।  झूला जो पड़ा बागों में,  कन्याएं जाएंगी झूम।  पतझड़ को अब आने न दो,  भेद दिलो ...

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