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मुक्तक लहरी (मात्रा भार १५) तीज उत्सव की मची धूम, बाहारों में तू भी घूम। झूला जो पड़ा बागों में, कन्याएं जाएंगी झूम। पतझड़ को अब आने न दो, भेद दिलो ...