मैं और तुम

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ज़िंदगी दो अल्फाज़ो में ही सिमट कर रहे गयी है युगों युगों से चली आ रही इस विडंबना से आज तक कोई भी अछूता नही रहा है बच्चे बूढे क्या जवान ...

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