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मुक्तक : पिया मिलन धानी चुनर ओढ़ प्रकृति शिवजी को रिझाने लगी है हवा भी बादलों के साथ प्रेम गीत गुनगुनाने लगी है सावन में बारिश की बूंदें दिल में प्रीत ...