अल्फाज़ दिल के

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न उदासी न तड़पन न ख्यालात बाकी हैं अब उनके कैसे लिखूं अब भला किस्से मैं गम के यूँ तो हालात बद से भी बद्दतर हो चुके है मगर दिल ही ...

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