दरख्तों से झाँकती यादें

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कभी कभी बहुत कुछ बीत कर भी थोड़ा रुका रहता है, जो समय समय पर पुराने पड़ चुके घावों की तरह धीरे धीरे रिसता रहता है। मानव मन की भी अजीब ...

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