कविताः चांद

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कविता---चांद काले अमावस भरी रात में यह क्या हो गया रजताभ चमक लिए चांद गगन पर छा गया आंगनों में छिटकी चांदी सी प्रकाश उज्ज्वल सा हो गया तिमिर से ढंका ...

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