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ओ मेरे मित्र.. है तेरा मित्र बड़ा विचित्र मेरे दिल को देख लो चाहे चीर.. मिलेगा वहाँ भी तुम्हारा ही चित्र ओ मेरे मित्र.. रूठे मनाऐ फिर से इक दूजे को ...