सावन

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मन के मन भावन सावन..... आधी रात खिंच कर मेरी हथेली टोकरी सितारों से लबालब भरी दे कर बोला बिखरा दो तम छाये नभ में तुम भी.... विस्मित करने कभी कभी ...

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