अब ये अल्फाज़ तराजू में तोलिए साहब

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प्रतियोगिता हेतु गज़ल रस भरी जिंदगी में बिष न घोलिए साहब। हम भी इंसां हैं, जरा ढंग से बोलिए साहब।। हमसे लड़ने की तमन्ना भला पाली क्यों है। कुछ इसारों में ...

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