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17 नवंबर, सन 1845 ई. की बात है। मारे सर्दी के निशा-सुंदरी काँप रही थी, और काँप रहा था उसी के साथ संपूर्ण पंजाब-प्रदेश। चारों ओर अंधकार-ही-अंधकार दिखाई पड़ रहा था। ...