दोजखी

88 Part

83 times read

0 Liked

मैं दबे पाँव दाखिल हुआ। बाहर का गेट भी मैंने धीरे से खोला - ऐसे कि आवाज न हो। घर के सामने वाला दरवाजा उढ़का हुआ था - हमेशा की तरह। ...

Chapter

×