दोहरी जिंदगी

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अदेही, अनंग, तुष्टमान होकर हरेक को दो-दो जीवन बख़्शे कि बारह और बारह चौबीस कोस की दूरी पर दो बस्तियां बसी हुई थीं। उन बस्तियों के सेठ अपनी कंजूसी के लिए ...

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