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हम मुहब्बत की सारी महफिलें देख चुके पछतावा हो ख़ुद पे ऐसे फैसले देख चुके बाकी बची ज़िंदगी में क्या है बाकी देखने को हम आजमाइश कि मेज़ पे अपने सारे ...