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मुक्तक (मात्रा भार 16) शीश ऊपर हैं दिखता गगन, उर में बसी मीठी सी लगन। धुन बंसी की हैं मस्त बड़ी, झूम रही शिखा होकर मगन।। #दैनिक प्रतियोगिता हेतु ...