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गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट हुआ काम- धंधा सब चौपट, उसका मुखड़ा गम से पीला भरी जवानी माँझा ढीला, नहीं रहा वह छैल- छबीला। सूनी जिसकी हुई रसोई, भूला आज चैन से सोना ...