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प्रेम की परछाइयां ले नेह की अंगड़ाइयाँ ले मैं निकल आई हूँ घर से दर्द की गहराइयां ले। इधर जाऊं उधर जाऊं बता तू ही किधर जाऊं तुम्हारे प्रीत की खुशबू ...