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बदलाव के बयार में सारा गाँव बह गया। लोगबाग ही नहीं, कच्चे-पक्के घर, घास-फूंस के झोपड़े, पेड़-पल्लो, खेत-खलिहान आदि सभी पर बौद्धधर्म का ठप्पा लग गया। दरवाजे-दरवाजे 'बुद्धम् शरणम् गच्छामि' लिखा ...