धर्मराज

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साँझ का समय है। दिन भर तक थकाने वाली आफिसों की हाँव-हाँव, किच-किच, ऊपर से बाजार का शोर। चारों ओर एक अस्त-व्यस्त माहौल है। लेकिन शहर की भव्यतम कालोनी में सन्नाटा ...

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