झूलों पर

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ग़ज़ल आ रही है सदाएं झूलो पर, भा रही हैं अदाएं झूलों पर। माह ए सावन का असर है शायद, छा रहीं हैं घटाएं झूलों पर। बन संवर कर वो आज ...

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