लेखनी कहानी - यूं ही बेवजह...

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यूं ही बेवजह... यूं ही बेवजह इल्जाम दिया करते हो तुम, हमने तो खामोशियों को ही अपना गुनाह मान लिया है अब, जो कह देते तुमसे अपना हाले दिल, जरा पहले, ...

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