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कविता ःःआकाश से परे 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 उस अनन्त ब्रह्मांड का अधिपति बैठा है आकाश से परे हम तो प्यादे हैं कच्ची मिट्टी के नचाता है जिसे वह चित्तचोर क्या...क्या...की ख्वाहिशें हमें नचाती ...