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कविता ःः सूरज और सागर 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 मैं सूरज..तुम सागर.. कितने सुंदर..कितने गहन.. कितने मौन.. हर दिन मैं आता हूँ.. पृथ्वी से मिलने.. तुम्हें देखताहूँ.. कितने धीर गंभीर.. समस्त बलखाती नदियों का ...