दोहा

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1. श्राद्ध कर्म अरु जीव का, कोई जोड़ न तोड़।    आगे आगे पुण्य चले, अवगुण पीछे छोड़।। 2. जीवन धारा में दुखी , सुख पाये ना कोय।     अपना ...

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