लेखनी प्रतियोगिता -15-Aug-2022 आज़ादी

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खून बहुत बह चुका था आज़ादी मिलते मिलते ज़मी भी बट चुकी थी तिरंगा लहराते लहराते व्यापारी बनकर आए थे कुछ लोग समंदर से जो वापस लौटे खून की नदियां बहाते ...

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