प्रेम के धागे

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मन्दिर के एक कोने में मुनि समाधि लगाये बैठे थे। दुनिया की बातों से बेखबर, आत्मचिन्तन में लीन। इतने में बहुत-सी बालिकाएँ खेलती हुई वहाँ आ पहुँचीं। उनकी आँखों में भोलापन ...

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