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कविता..कविता--अंतर्मन की आवाजें अपने भीतर ही वह परम सत्य है जिसका रुप है निराकार ज्ञान विज्ञान की खोज में जो ऋषिवर ने खोजा था नया संसार। मूक कंठ से जपते रहो ...