नम्बर दस

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सवेरे रतन के मन में बहुत मिठास रही हो, ऐसी बात तो नहीं थी, लेकिन अब शाम को वह कड़वाहट से भर गया था। सवेरे और नहीं तो एक खुलापन तो ...

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