उम्मीद#लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -17-Aug-2022

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उ ये उम्मीदें क्यों खुद से लगा बैठते हैं हम इतना जिसके पूरा न होने से मन टूट जाता है। ये मेरा मन काँच या मिट्टी का नहीं मजबूत ईंट पत्थरों ...

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