1 Part
316 times read
22 Liked
एक परिंदा... बेहिसाब थी मेरी हजारों ख्वाहिशे, सलाखों ने तोड़ दी है सारी। कभी उड़ जाया करता था इस नीले गगन में, आज परों को कतार दिए है सारे। नही थी ...