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कविता ःःबावरा मन मेरा 🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂 बावरा है मन कुछ सुनता ही नहीं.. .....उड़ता फिरता है.. कभी इस डगर कभी उस डगर न ख्वाहिशों का अ़ंत ..न कल्पनाओं का.. ...