गुलाबों की टहनी (रुबाइ)

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हवा चल रही थी कली खिल रही थी!  गगन  से ये धरती गले  मिल रही थी!!  लबों में था लाल-ओ-गुहर का ख़ज़ाना; गुलाबों की टहनी कभी हिल रही थी!!  ======================= ...

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