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नीलगगन की चोटियाँ बुला रही हैं तुम्हें आज, मंज़िल की ग़ज़ल वादियाँ सुना रही हैं आज, पूछो न कारवां का अगला कहाँ पड़ाव, होंगे न जाने कल कहाँ अभी तो चल-चलाव, ...