मंज़िल को ढूँढते चलो! मंज़िल को ढूँढते चलो!! (ग़ज़ल)

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नीलगगन की चोटियाँ बुला रही हैं तुम्हें आज,  मंज़िल की ग़ज़ल वादियाँ सुना रही हैं आज,  पूछो न कारवां का अगला कहाँ पड़ाव,  होंगे न जाने कल कहाँ अभी तो चल-चलाव,  ...

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