संगिनी ---◆●•••

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क्या ही आनन्द आता ,जो शिव की तरह हर पुरुष गौरा को सहज मनाता.... कभी इठलाता या गुस्साता, पर स्त्री पर हाथ भूल के न उठाता...... स्वांस में भर लेता स्वांसों ...

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