1 Part
288 times read
21 Liked
*लालसाएं मिटाओ, परम आनन्द पाओ* विचार उपद्रव मचाते, जैसे सागर की ऊंच लहर रुक ना पाते चलते ही जाते, प्रतिदिन अष्ट प्रहर इच्छाओं का आक्रमण मुझे, शान्त ना होने देता आत्म ...