1 Part
298 times read
12 Liked
इश्क ए इजहार की,, रिवायत कहा परवान चढी,, कुछ हुई लैला मंजनू, सी,, तो कोई श्री फरियाद बनी ,, जो कही चढ गई कुछ हत्थे,, तो फिर वो बागबान बनी,, हुआ ...