जीवन धारा

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सोचते है  हम भी संभल जाएं.., बाकी लोगो की  तरह बदल जाएं..., नही रखना अब कोई वास्ता किसी से...., जहां कद्र ना हो वहां से निकल जाएं....!! विजय गौतम  ...

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