लेखनी कविता -23-Aug-2022" हाथों में लगी मिट्टी "

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जो  नाकाबिल ए बर्दाश्त है हमें, वही हरकत कर रहे हैं।  अपने  गुनाहों पर  वो  पर्दा डालने की, जुर्रत कर रहे हैं।  जिनके  खुद के हाथ सने हुए हैं कई मासूमों ...

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