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((( ग़ज़ल ))) जलाया जाऐ दीये से दीया मुहब्बत का, यही है फ़र्ज़ मेरे भाई आदमिय्यत का! तमाम धर्म तो देते है प्यार की शिक्षा, तो फिर ये ...