लेखनी प्रतियोगिता -24-Aug-2022

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वो नजरें शर्मो हया से झुकाती है वो घूंघट में मुखड़ा छुपा कर हँसती है नजरें कातिलाना है घायल करती है जब मुस्काती है लगता तारे जमीं पे लाती है घूंघट ...

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