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रचयिता-प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-रविंद्र नाथ टैगोर की गाथा स्वर्ण कनक जैसा था लेखन, रवि जैसा तेज शशि जैसा उजास, भारत के थे विद्वान, करती हूं मैं उनको प्रणाम। रविंद्र नाथ टैगोर थे ...